about the cricket ground (क्रिकेट के मैदान के बारे मे )

 क्रिकेट का मैदान  एक बड़ा घास का मैदान होता है जिस  पर क्रिकेट खेला जाता है। क्रिकेट के मैदान अंडाकार,  वृत्ताकार  जैसे या  अनियमित आकार के हो सकते हैं। मैदान के लिए कोई निश्चित आयाम नहीं हैं, लेकिन पुरुषों के क्रिकेट के लिए इसका व्यास आमतौर पर 450 फीट (137 मीटर) से 500 फीट (150 मीटर) के बीच और महिला क्रिकेट के लिए 360 फीट (110 मीटर) से 420 फीट (130 मीटर) के बीच अलग  होता है।

    

क्रिकेट पिच 

क्रिकेट खेलने के लिए सबसे अहम चीज मैदान और पिच होती है। क्रिकेट पिच 20.12 मीटर लंबी और 3.05 मीटर चौड़ी होती है।पिच के कई प्रकार होते हैं और पिच के प्रकार के हिसाब से ही कई बार मैचों के परिणाम भी बदल सकते हैं।खास तौर से टेस्ट क्रिकेट में एक आदर्श पिच का होना काफी जरूरी है।आइए जानते हैं पिच के प्रकार और इससे जुड़ी हर अहम बात।

यह तीन प्रकार की होती है 

क्रिकेट की पिच मुख्यतः तीन प्रकार की होती है- ग्रीन टॉप, डस्टी और डेड पिच। ग्रीन टॉप और डस्टी पिच गेंदबाजों की मददगार साबित होती है तो वहीं डेड पिच पर बल्लेबाजों हमला  होता है 

 ग्रीन टॉप पिच (इंग्लैंड में अधिकतर  पाई जाती है)

जिस पिच पर इतनी अच्छी मात्रा में घास छोड़ी जाती है, जिससे कि पूरी पिच हरी-भरी दिखाई दे, उसे ग्रीन टॉप कहते हैं।आमतौर पर ऐसी पिच इंग्लैंड में बनाई जाती हैं और इस पिच पर तेज गेंदबाजों को काफी ज़्यादा मदद मिलती है।न्यूजीलैंड भी वेलिंग्टन के बेसिन रिजर्व में ऐसी पिच बनाता है क्योंकि हवा चलने और बादल रहने पर यह पिच बल्लेबाजों के लिए कब्रगाह बन जाती है।



 डस्टी पिच (एशिया में पाई जाती हैं)

जिस पिच पर गेंद गिरने पर धूल उड़ती है उसे डस्टी पिच कहा जाता है। ऐसी पिच पर तेज गेंदबाजों को गति और उछाल दोनों हासिल करने में काफी दिक्कत होती है।हालांकि, इस पिच पर स्पिनर्स को काफी ज़्यादा मदद मिलती है और गेंद को टर्न कराकर बल्लेबाजों को परेशान कर सकते हैं।खास तौर से एशिया में टर्न लेने वाली डस्टी पिचों का इस्तेमाल टेस्ट मैचों में किया जाता है।


 डेड पिच (लिमिटेड ओवर्स के मुकाबलों में बनाई जाने लगी हैं)

ऐसी पिच जिस पर गेंदबाजों के लिए कोई मदद नहीं हो उसे डेड या सपाट पिच कहा जाता है।यहां गेंद गिरने के बाद बल्ले पर बेहतरीन तरीके से आती है और इसीलिए ऐसी पिचों का उपयोग लिमिटेड ओवर्स के मुकाबलों में किया जाने लगा है।टेस्ट क्रिकेट में ऐसी पिच के उपयोग पर मैच के ड्रॉ होने की उम्मीद काफी ज़्यादा रहती है, लेकिन लिमिटेड ओवर्स में मुकाबला हाई-स्कोरिंग हो जाता है।



ड्रॉप-इन पिचों (इन्हे कुछ कुछ मुकाबलों में ही तैयार किया गया है)

ऐसी पिच, जिन्हें मैदान के बाहर तैयार किया जाए और फिर मैच से पहले उसे मैदान में पहुंचाया जाए, को ड्रॉप-इन पिच कहते हैं।इन्हें पहली बार वर्ल्ड क्रिकेट सीरीज़ के दौरान इस्तेमाल करने के लिए WACA क्यूरेटर जॉन मेली द्वारा तैयार किया गया था।मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड और न्यूजीलैंड के क्वींसलैंड में इन पिचों का इस्तेमाल मुख्य रूप से किया जाता है।2005 में गाबा ने इनके इस्तेमाल से इंकार कर दिया था।



खराब पिच पर सजा

2017 में इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (ICC) ने खराब पिच और आउटफील्ड के लिए मैदानों को सजा देने के लिए एक स्कीम बनाई थी।हर इंटरनेशनल मैच के बाद ICC के रेफरी पिच को रेटिंग देते हैं। औसत से नीचे, खराब या अनफिट रेटिंग पाने वाली पिचों को डिमेरिट प्वाइंट दिए जाते हैं।पांच साल की अवधि में पांच प्वाइंट पाने वाले मैदान से 12 महीनों के लिए इंटरनेशनल मैचों की मेज़बानी का अधिकार छीन लिया जाता है।

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